Friday, September 12, 2014

छत्तीसगढ़ के साहित्यकार - दूसरी किश्त

छत्तीसगढ़ के साहित्यकार... लगातार
इधर विनोद कुमार शुक्ल का नाम काफी चर्चा में रहता है। शुक्ल हिंदी के प्रसिद्ध कवि और उपन्यासकार हैं। 1937 राजनंदगांव, छत्तीसगढ़ में जन्मे शुक्ल ने प्राध्यापन को रोजग़ार के रूप में चुनकर पूरा ध्यान साहित्य सृजन में लगाया। आपकी प्रमुख कृतियां है- नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती थी, खिलेगा तो देखेंगे। नौकर की कमीज पर फिल्मकार मणिकौल ने इसी से नाम से फिल्म भी बनाई। कई सम्मानों से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल को उपन्यास- दीवार में एक खिड़की रहती थी, के लिए वर्ष 1999 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

समकालीन हिंदी कविता में अपनी लगातार मौजूदगी से छत्तीसगढ़ को पहचान देने वाले कवियों में प्रभात त्रिपाठी, एकांत श्रीवास्तव, शरद कोकास, माझी अनंत, बसंत त्रिपाठी, ललित सुरजन आदि प्रमुख हैं। एकांत श्रीवास्तव का जन्म 8 फ़रवरी 1964 को हुआ। आपके प्रमुख काव्य संकलन- अन्न हैं मेरे शब्द, मट्टी से कहूँगा धन्यवाद और बीज से फूल तक। श्रीवास्तव जी को अब तक साहित्य के सम्मानों से नवाजा जा चुका है।  इधर जयप्रकाश मानस, पुष्पा तिवारी, गिरीश मिश्र आदि संभावना से पूर्ण कवि के रूप में सामने आ रहे हैं।
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हिंदी गीत रचकर अपनी खास पहचान बनाने वालों में आनंदी सहाय शुक्ल, नारायणलाल परमार, नरेन्द्र श्रीवास्तव, राम कुमार वर्मा, रामअधीर प्रमुख हस्तियां हैं। रायगढ़ के जनकवि आनंदी सहाय 85 साल की उम्र पार कर चुके हैं। परमार छत्तीसगढ़ के प्रमुख साहित्यकारों में गिने जाते हैं। आधी सदी से भी अधिक समय तक वे देश भर की पत्र पत्रिकाओं में छपे, उनके गीत रेडियो से बजते रहे, कवि सम्मेलनों में उनकी उपस्थिति निरंतर बनी रही और पाठ्यपुस्तकों के जरिए लाखों बच्चों ने उनकी रचनाओं को पढ़ा।
स्त्रोत- विकीपीडिया

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